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रू-ब-रू रौशनी || आचार्य प्रशांत: आँधियों से झगड़ रही है लौ मेरी (2018)

2019-11-30 3 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१३ जून, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />गीत : रू-ब-रू रौशनी<br /><br />ए साला<br /><br />हो..अभी अभी हुआ यकीन, कि आग है मुझ मे कही,<br /><br />हुई सुबह, मै चल गया,<br /><br />सूरज को मै, निगल गया,<br /><br />रू-बा-रू रौशनी हेय..2<br /><br />जो गुमशुदा-सा ख्वाब था,<br /><br />वो मिल गया वो खिल गया,<br /><br />वो लोहा था-2 पिघल गया-2<br /><br />खिचा खिचा मचल गया,<br /><br />सितार मे बदल गया,<br /><br />रू-बा-रू रौशनी हेय..2<br /><br />(धुंआ छटा खुला गगन मेरा,<br /><br />नयी डगर नया सफ़र मेरा,<br /><br />जो बन सके तू हमसफ़र मेरा,<br /><br />नज़र मिला ज़रा..) 2<br /><br />आंधियो से झगड़ रही है लौ मेरी,<br /><br />अब मशालो सी बढ़ रही है लौ मेरी,<br /><br />नामो निशां, रहे ना रहे,<br /><br />ये कारवा, रहे ना रहे,<br /><br />उजाले मैं, पी गया,<br /><br />रोशन हुआ, जी गया,<br /><br />क्यो सहते रहे….<br /><br />रू-बा-रू रौशनी हेय..2<br /><br />धुंआ छटा खुला गगन मेरा,<br /><br />नयी डगर नया सफ़र मेरा,<br /><br />जो बन सके तू हमसफ़र मेरा,<br /><br />नज़र मिला ज़रा..<br /><br />रू-बा-रू रौशनी हेय..2<br /><br />ए साला….3<br />~ गीत : रू-ब-रू रौशनी<br />संगीतकार: ए. आर. रहमान, नरेश अय्यर<br />फिल्म: रंग दे बसंती (२००६)<br />बोल: प्रसून जोशी<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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